बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 संस्कृत - वैदिक वाङ्मय एवं भारतीय दर्शन बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 संस्कृत - वैदिक वाङ्मय एवं भारतीय दर्शनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 संस्कृत - वैदिक वाङ्मय एवं भारतीय दर्शन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ऋग्वेद के वर्ण्य विषय का विवेचन कीजिए।
अथवा
ऋग्वेद की विषय-वस्तु का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
भारतीय वाङ्मय का प्राचीन एवं महत्वपूर्ण ग्रन्थ ऋग्वेद है। इसमें अधिकांशतः धार्मिक सूक्त भरे हुए हैं। केवल दशम मण्डल में कुछ सूक्त ऐहिक विषयों से सम्बद्ध हैं। ऋग्वेद के मन्त्र मुख्यतः देवताओं के स्तुतिपरक हैं। इन सूक्तों में उनके पराक्रम, महत्व एवं उनकी दयालुता का उल्लेख किया गया है। इन देवताओं ने गोधन, पुत्र, अभ्युदय, शत्रु विजय एवं दीर्घापुष्य के लिए प्रार्थना की गयी है। ऋवेद के दशम मण्डलों में २ से ७ मण्डल प्राचीन हैं। इनमें प्रत्येक मण्डल एक ही ऋषि एवं उसके वंशजों द्वारा रचित है, जैसे द्वितीय मण्डल के ऋषि, गृत्समद, तृतीय के विश्वामित्र चतुर्थ के वामदेव, पञ्चम के अत्रि, षष्ठि के भारद्वाज, सप्तम के वशिष्ठ एवं उनके वंशज हैं। इनमें गृत्समद, विश्वामित्र, वसिष्ठ आदि ऐतिहासिक पुरुष हैं। अष्टम मण्डल कण्व एवं आंगिरसों के उद्गाता वंश के नाम से प्रसिद्ध हैं। इसमें ११ सूक्तों का बालखिल्य भी है। नवें मण्डल के प्रायः सम्पूर्ण सूक्त एक ही सोमदेवता को सम्बोधित करते हैं। सोम एक बूटी का नाम है, जिसे कूटकर एक प्रकार का रस अभिषव किया जाता था, जिसे देवताओं को चढ़ाया जाता था और यज्ञ के अवसर पर उसका पान किया जाता था। ईरानी देवता भी इस प्रकार के आसव का पान करते थे जिसे वे 'होम' कहते हैं। उनके धर्म-ग्रन्थ अवेस्ता में लिखा है कि इसे पीकर वे अत्यन्त प्रसन्न होते थे। प्राचीन पौराणिक गाथाओं में सोम को देवताओं का अमृत कहा गया है। इसके अतिरिक्त सोम को नम का राजा भी कहा गया है।
ऋग्वेद के प्रथम तथा दशम् मण्डल की रचना बाद में हुई प्रतीत होती है। प्रथम मण्डल में १४ वर्ग है। प्रत्येक वर्ग में एक सामान्य ऋषि का वर्णन है और देवता के अनुसार सूक्तों का विभाजन है दशम मण्डल की रचना सबसे बाद की है। इसमें सूक्तों की विविधता है। इस मण्डल में कुछ भावात्मक देवताओं का भी प्रादुर्भाव हुआ है। इसके अलावा इसमें संसार की उत्पत्ति-विवाह अन्त्येष्टि आध्यात्मिक विषय और मन्त्र-तन्त्र आदि विषयों से सम्बद्ध सूक्त भी हैं। दशम मण्डल में सूक्तों में भाषा की शिथिलता दिखाई देती है। उस समय स्वरों का लोप अधिक होने लगा था और अवग्रह कम होने लगे थे। ऋग्वेद में पशुपालन, कृषि कार्य, व्यापार एवं उद्योग, यज्ञ, दान आदि धार्मिक कृत्यों का विस्तृत वर्णन किया गया है। राजा, पुरोहित एवं युद्ध का भी वर्णन आया है। राजा के यहाँ पुरोहित होता था जो यज्ञ करता था। यज्ञ में पति- पत्नी दोनों भाग लेते थे। ऋग्वेद के एक मन्त्र में आया है कि "दम्पत्ति एक चित्त होकर सोम का अभिषव करते थे उसे छानते थे और उसमें दूध मिलाते थे तथा देवताओं की स्तुति करते थे। ऋग्वेद के कई उदाहरण मिलते हैं जिनमें शत्रु पर विजय तथा दीर्घापुष्य की कामना की गयी है। ऋग्वेद का 'दशराज्ञयुद्ध' अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस युद्ध का नेता सुदास था जिसके विरुद्ध, भद्र, द्रुहयु, तुर्बसु आदि दस राजा युद्ध करते थे। इस युद्ध में विश्वामित्र और वशिष्ठ जैसे महर्षि भी भाग लेते थे। कहा जाता है कि सुदास आत्मा का प्रतीक है और दस राजा दस इन्द्रियाँ हैं, वशिष्ठ और विश्वामित्र दोनों बुद्धि और अन्तःकरण के प्रतीक हैं। ऋग्वेद पुराण कथा के अनेक दृष्टान्त मिलते हैं। जहाँ हमें देवताओं के अनेक रूपों एवं उनकी अद्भुत शक्तियों के दर्शन होते हैं। ऋग्वेद में प्राकृतिक वस्तुओं को भी देवताओं का रूप दे दिया गया है। अग्नि, द्यौ, पृथ्वी, मरुत्, आपः उषस् आदि प्रकृति देवता हैं। ये मूलतः प्राकृतिक शक्तियाँ थीं, जिन्हें मानवोचित कर्त्तव्य रूप प्रदान किया गया है। इनके अलावा केछ ऐसे भी देवता हैं जो भावात्मक देवता हैं, जैसे श्रद्धा, प्रजापति, मृत्यु आदि। इनमें भावों का व्यतिकरण है। ऋग्वेद में 'असुर' शब्द बलवान् देवता के रूप में प्रसिद्ध है। किन्तु परवर्ती साहित्य में दैत्य के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा है। अवेष्टा में इसे 'अहुर' कहते हैं। यम जो पितरों का स्वामी है, उसे ऋग्वेद में मानव जाति का आदिपुरुष कहा गया है। वह मृत्यु का देवता है जो मृत्यु के पश्चात् पापियों को दण्ड देता है और पुण्यात्माओं को सुखमय लोक की प्राप्ति करवाता है। ऋग्वेद से सभी देवताओं का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन है। जिस देवता का वर्णन किया जाता है उसी को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। ऋग्वेद के दशम मण्डल में दार्शनिक सूक्त हैं। पुरुष सूक्त और नासदीय सूक्त दार्शनिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। पुरुष सूक्त में एकेश्वरवाद की स्पष्ट रूपरेखा दिखायी देती है। विश्व का संचालन देव एक है जो समस्त विश्व का अकेला संचालन करता है, वह अकेला सत् है और वही सम्पूर्ण संसार में प्रकाशमात्र है। वह एक है परन्तु अनेक नामों से जाना जाता है। वही एकमात्र परमसत्ता है। एक सूक्त अध्यात्मवाद से सम्बन्धित है जिसमें ईश्वरवाद की ओर संकेत है सृष्टि की दृष्टि से नासदीय एवं हिरण्यगर्भ सूक्त महत्वपूर्ण हैं।
ऋग्वेद विविध संवादों से परिपूर्ण है जो कला की दृष्टि से मनोरम, सरस एवं भावपूर्ण है। ऋग्वेद में कुछ ऐसे सूक्त भी उपलब्ध हैं जिसमें लौकिक व्यवहार एवं सामाजिक रीति-रिवाजों के दर्शन होते हैं। विवाह सूक्त एवं अन्त्येष्टि लौकिक जीवन से सम्बन्धित हैं। अन्त्येष्टि में कुल पाँच सूक्त हैं- पितर, अग्नि, पूषा, यम और अन्त्येष्टि। मृत्यु के पश्चात् शवदाह होता था, शवदाह में बकरे की बलि दी जाती थी। उस समय स्त्रियाँ सती होती थीं, पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों का भू-संस्कार होता था।
ऋग्वेद में कुछ ऐसे भी सूक्त उपलब्ध हैं जो ऐतिहासिक सामग्री प्रस्तुत करते हैं। इनमें राजाओं के उद्धार दानों की स्तुतियाँ की गयी हैं, जिन्हें दानस्तुति कहते हैं। नैतिक सूक्तों में जुआरी के गीत अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। इसमें जुआरी जुए को अपने विनाश का कारण समझता था। ऋग्वेद में कुछ पहेलिकायें भी हैं जो मनोरंजन की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। एक पहेलिका में ऋषि कहता है कि देखा है किसी ने मेरे रथ को जिसमें एक पहिया तीन व्यभि थे, उस पहिये में बारह फीते हैं और ३६० कीलियों द्वारा उसे सुदृढ़ किया गया है। ऋग्वेद की भाषा सीधी-सादी एवं स्वाभाविक है। इसमें काव्यगुण अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं। रूपक अलंकार की प्रधानता है। ऋग्वेद की रचना कुल चौदह छन्दों में हुई है। इसमें गायत्री छन्द का सर्वाधिक प्रयोग किया गया है। इस तरह धार्मिक, सामाजिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक दृष्टि से ऋग्वेद की उपयोगिता सर्वमान्य है।
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- प्रश्न- वेद के ब्राह्मणों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद के वर्ण्य विषय का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- किसी एक उपनिषद का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- ब्राह्मण साहित्य का परिचय देते हुए, ब्राह्मणों के प्रतिपाद्य विषय का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'वेदाङ्ग' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शतपथ ब्राह्मण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- उपनिषद् से क्या अभिप्राय है? प्रमुख उपनिषदों का संक्षेप में विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- संहिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेद से क्या अभिप्राय है? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपनिषदों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋक् के अर्थ को बताते हुए ऋक्वेद का विभाजन कीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद का महत्व समझाइए।
- प्रश्न- शतपथ ब्राह्मण के आधार पर 'वाङ्मनस् आख्यान् का महत्व प्रतिपादित कीजिए।
- प्रश्न- उपनिषद् का अर्थ बताते हुए उसका दार्शनिक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- आरण्यक ग्रन्थों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ब्राह्मण-ग्रन्थ का अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आरण्यक का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- देवता पर विस्तृत प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तों में से किसी एक सूक्त के देवता, ऋषि एवं स्वरूप बताइए- (क) विश्वेदेवा सूक्त, (ग) इन्द्र सूक्त, (ख) विष्णु सूक्त, (घ) हिरण्यगर्भ सूक्त।
- प्रश्न- हिरण्यगर्भ सूक्त में स्वीकृत परमसत्ता के महत्व को स्थापित कीजिए
- प्रश्न- पुरुष सूक्त और हिरण्यगर्भ सूक्त के दार्शनिक तत्व की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक पदों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'वाक् सूक्त शिवसंकल्प सूक्त' पृथ्वीसूक्त एवं हिरण्य गर्भ सूक्त की 'तात्त्विक' विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हिरण्यगर्भ सूक्त की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिरण्यगर्भ सूक्त में प्रयुक्त "कस्मै देवाय हविषा विधेम से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- वाक् सूक्त का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वाक् सूक्त अथवा पृथ्वी सूक्त का प्रतिपाद्य विषय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वाक् सूक्त में वर्णित् वाक् के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वाक् सूक्त किस वेद से सम्बन्ध रखता है?
- प्रश्न- पुरुष सूक्त में किसका वर्णन है?
- प्रश्न- वाक्सूक्त के आधार पर वाक् देवी का स्वरूप निर्धारित करते हुए उसकी महत्ता का प्रतिपादन कीजिए।
- प्रश्न- पुरुष सूक्त का वर्ण्य विषय लिखिए।
- प्रश्न- पुरुष सूक्त का ऋषि और देवता का नाम लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। शिवसंकल्प सूक्त
- प्रश्न- 'शिवसंकल्प सूक्त' किस वेद से संकलित हैं।
- प्रश्न- मन की शक्ति का निरूपण 'शिवसंकल्प सूक्त' के आलोक में कीजिए।
- प्रश्न- शिवसंकल्प सूक्त में पठित मन्त्रों की संख्या बताकर देवता का भी नाम बताइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मन्त्र में देवता तथा छन्द लिखिए।
- प्रश्न- यजुर्वेद में कितने अध्याय हैं?
- प्रश्न- शिवसंकल्प सूक्त के देवता तथा ऋषि लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। पृथ्वी सूक्त, विष्णु सूक्त एवं सामंनस्य सूक्त
- प्रश्न- पृथ्वी सूक्त में वर्णित पृथ्वी की उपकारिणी एवं दानशीला प्रवृत्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वी की उत्पत्ति एवं उसके प्राकृतिक रूप का वर्णन पृथ्वी सूक्त के आधार पर कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वी सूक्त किस वेद से सम्बन्ध रखता है?
- प्रश्न- विष्णु के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विष्णु सूक्त का सार लिखिये।
- प्रश्न- सामनस्यम् पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामनस्य सूक्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। ईशावास्योपनिषद्
- प्रश्न- ईश उपनिषद् का सिद्धान्त बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'ईशावास्योपनिषद्' के अनुसार सम्भूति और विनाश का अन्तर स्पष्ट कीजिए तथा विद्या अविद्या का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक वाङ्मय में उपनिषदों का महत्व वर्णित कीजिए।
- प्रश्न- ईशावास्योपनिषद् के प्रथम मन्त्र का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ईशावास्योपनिषद् के अनुसार सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करने का मार्ग क्या है।
- प्रश्न- असुरों के प्रसिद्ध लोकों के विषय में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- परमेश्वर के विषय में ईशावास्योपनिषद् का क्या मत है?
- प्रश्न- किस प्रकार का व्यक्ति किसी से घृणा नहीं करता? .
- प्रश्न- ईश्वर के ज्ञाता व्यक्ति की स्थिति बतलाइए।
- प्रश्न- विद्या एवं अविद्या में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- विद्या एवं अविद्या (ज्ञान एवं कर्म) को समझने का परिणाम क्या है?
- प्रश्न- सम्भूति एवं असम्भूति क्या है? इसका परिणाम बताइए।
- प्रश्न- साधक परमेश्वर से उसकी प्राप्ति के लिए क्या प्रार्थना करता है?
- प्रश्न- ईशावास्योपनिषद् का वर्ण्य विषय क्या है?
- प्रश्न- भारतीय दर्शन का अर्थ बताइये व भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि क्या है तथा भारत के कुछ प्रमुख दार्शनिक सम्प्रदाय कौन-कौन से हैं? भारतीय दर्शन का अर्थ एवं सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन किसे कहते हैं? चार्वाक दर्शन में प्रमाण पर विचार दीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का नया विचार प्रस्तुत कीजिए तथा जैन स्याद्वाद की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन से क्या अभिप्राय है? बौद्ध धर्म के साहित्य तथा प्रधान शाखाओं के विषय में बताइये तथा बुद्ध के उपदेशों में चार आर्य सत्य क्या हैं?
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का सामान्य स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- क्या बौद्धदर्शन निराशावादी है?
- प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- विविध दर्शनों के अनुसार सृष्टि के विषय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तर्क-प्रधान न्याय दर्शन का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन से क्या अभिप्राय है? पतंजलि ने योग को कितने प्रकार बताये हैं?
- प्रश्न- योग दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मीमांसा का क्या अर्थ है? जैमिनी सूत्र क्या है तथा ज्ञान का स्वरूप और उसको प्राप्त करने के साधन बताइए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में ईश्वर पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- षड्दर्शन के नामोल्लेखपूर्वक किसी एक दर्शन का लघु परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। श्रीमद्भगवतगीता : द्वितीय अध्याय
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता' द्वितीय अध्याय के अनुसार आत्मा का स्वरूप निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- 'श्रीमद्भगवद्गीता' द्वितीय अध्याय के आधार पर कर्म का क्या सिद्धान्त बताया गया है?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता द्वितीय अध्याय के आधार पर श्रीकृष्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता को कितने अध्यायों में बाँटा गया है? इसके नाम लिखिए।
- प्रश्न- महर्षि वेदव्यास का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- श्रीमद्भगवद्गीता का प्रतिपाद्य विषय लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। तर्कसंग्रह ( आरम्भ से प्रत्यक्ष खण्ड)
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या एवं पदार्थोद्देश निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या एवं द्रव्य निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या एवं गुण निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या एवं प्रत्यक्ष प्रमाण निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अन्नम्भट्ट कृत तर्कसंग्रह का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन एवं उसकी परम्परा का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन के पदार्थों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार प्रत्यक्ष प्रमाण को समझाइये।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन के आधार पर 'गुणों' का स्वरूप प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- न्याय तथा वैशेषिक की सम्मिलित परम्परा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्याय-वैशेषिक के प्रकरण ग्रन्थ का विवेचन कीजिए॥
- प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार अनुमान प्रमाण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित मंत्रों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। तर्कसंग्रह ( अनुमान से समाप्ति पर्यन्त )
- प्रश्न- 'तर्कसंग्रह ' अन्नंभट्ट के अनुसार अनुमान प्रमाण की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- तर्कसंग्रह के अनुसार उपमान प्रमाण क्या है?
- प्रश्न- शब्द प्रमाण को आचार्य अन्नम्भट्ट ने किस प्रकार परिभाषित किया है? विस्तृत रूप से समझाइये।